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Neelakshi Singh
“मैं उसे लिये- लिये आगे चलता रहा।उसने भी खामोशी तोड़ने के लिए कहा होगा जरूर। वह मुझ में दुबककर बड़ी अदा से चलने लगी। साथ चलते हुए उसका माथा मेरे कान के निचले हिस्से को छू रहा था। और ठीक सामने होने पर मेरे होठों को। मैंने अपनी फिल्म के लिए नायिका की जो आड़ी - तिरछी रेखा बनाई थी,उसमें के ज्यादातर रेखांश उसके चरित्र से ही उधार (साभार) लिए थे। संभावित प्रेम को सुनते ही वह जिस तरह समर्पित हो जाती,इस बात का बतौर निर्देशक, मैं जबरदस्त कायल था।”
Neelakshi Singh, शुद्धिपत्र / Shuddhi Patra

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