हजारीप्रसाद द्विवेदी [Hazariprasad Dwivedi] > Quotes > Quote > Nikhil liked it
“यह प्रमाद है आर्य, कि यह शरीर नरक का साधन है। यही बैकुंठ है। इसी को आश्रय करके नारायण अपनी आनन्दलीला प्रकट कर रहे हैं। आनन्द से ही यह भुवन-मंडल उद्भासित है। आनन्द से ही विधाता ने सृष्टि उत्पन्न की है। आनन्द ही उसका उद्गम है, आनन्द ही उसका लक्ष्य है। लीला के सिवा इस सृष्टि का और क्या प्रयोजन हो सकता”
― Banbhatt Ki Aatmakatha
― Banbhatt Ki Aatmakatha
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