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Kaajal Oza Vaidya
“कोई भी व्यक्ति, वस्तु या विचार का संपूर्ण स्वीकार ही हमारे अस्तित्व को पूर्ण करता है। हमारा पूर्णत्व दूसरों के पूर्ण स्वीकार पर आधारित है, क्योंकि पूर्णत्व ही पूर्णत्व तक ले जाता है।”
Kaajal Oza Vaidya, कृष्णायन

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