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Amritlal Nagar
“मानस रचते समय मैं जिस ललक के साथ अपने जीवन मूल्यों के पूर्ण समुच्चय स्वरूप श्रीराम की कल्पना के साथ आठों पहर तल्लीन रहता था, तुम अपने तुलसीदास में क्या रह पाते हो!”
Amritlal Nagar, मानस का हंस

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