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Divya Prakash Dubey
“इंजीनियरिंग कॉलेज में लिखने वाले लोग अक्सर ही कम होते हैं, इसलिए जो थोड़े बहुत लिखने वाले होते हैं उनकी कैमिस्ट्री तुरंत मैच कर जाती है। बातें कब किताबों से शुरू होती थी और उनके characters पर खतम। वो जो एक दूसरे से सीधे नहीं बोल पाते थे। किसी किताब में कोई-न-कोई character वो बात बोल देता था। दोनों को कई बार एक दूसरे जो बोलना होता था वो किताब में निशान लगा कर बता दिया करते थे.”
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