Indian Readers discussion
Poets, Poems n Poetry
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Sher-o-Shayri ! ! !
Meri Yaadoo Ki Kashti Uss Samundar Mein tairti Hai !Jiss Mein Paani Meri Apni Palkon Ka Hota Hai…!!!
Qatil Qatal Kar Chuka Tha Tadrap Rahi thi Lash Meri,Rooh Thi Meri Gardish Mein Phir bhi Thi Talash Teri.... !!
my fav.... !!
Tumhari Yaad Ki Shama Hamarey Dil Main Roshan Hai...issey Khud Hi Bhuja Jana Kabhi Aana Hawa Ban Kar..★★
Chai ke kup Se utHte dHue me teri shakal najar aati hai !Tere khayAlo me kho_kr akSar meri chai thanDi ho jati Hai !
Waqt par na jaa waqt to har zakham ki dawa hai MohsinAaj tum ne humein bhula diya kal tujhe bhi koi bhula de ga...★★
Khud ki fitrat ko badla hai Tujhe apna bnane ke liyeKroge yaad sadiyon tak Kisi ne dil lgaya tha..★★
Waqt Baha Kar Le Jata Hai, Naam-O-Nishaan Magar,Koi Hum Mei'n Reh Jata Hai....Aur Kisi Mei'n Hum....★★
Koi umeed nahi thi hame unse mohabbat ki .......Sirf ek khawab tha ki Dil toote to unke haath se toote...★★
Teri Zidd Se Tang Hokar Istifa Dene Chala Hai YeDIL,
Koi Isey Samjaho ISHQ Mein Phir Se Chunaav Nahi
Hote...★★
Lahoo Jigar Ka Samajh Ke Mein, Har Mehafil Me Peeye Ja Raha HoonYun to Haseen Aur Bhi Hain Zamaane Me,Na Jaane Kyon Me Tera Hi Naam Liye Ja Raha Hoon..★★
Laal Ho Ya PeelaHara Ho Ya Neela
Sukha Ho Ya Geela
Ek Bar Rang Lag Jaye
To Ho Jaye Sab #rangeela !
फिर आज गुलालों के खातिर बदरंग बनेगे होली में ।
अंग अंग पर रंग सजा
हुड़दंग करेगे होली में ।।
न जानेगे कितने रंग नये
चेहरों पर खिल जायेगे ।
न जाने कितने टूटेंगे
कितने दिल जुड़ जायेगे
कितनो को तो तन्हा आकर
तंग करेगे होली में
अंग अंग पर रंग सजा
हुड़दंग करेगे होली मे।।2।
कुछ नये मुबारक आयेगे
चाहत में रंग लाने को
कुछ दूर बहुत हो जायेगे
यादो में तड़पाने को
भींग किसी की बारिस में
कुछ दंग करेगे होली में
अंग अंग पर रंग सजा
हुड़दंग करेगे होली में ।।3।।
क्या सच्चा है इस जीवन में
रंग कौन सा झूठा है
पर प्यार में दिल से न खेलें
इस प्यार का रंग अनूठा है
कुछ आँशू भी तो बरसेंगे
बेरंग बहेंगे होली में
अंग अंग पर रंग सजा
हुड़दंग करेगे होली मेँ।।4।।
।।होली मुबारक।।
पिचकारी कि दुकान से दूर, हाथोँ मेँ कुछ 'सिक्के' गिनते मैँनेउसे देखा...
एक 'गरीब बच्चे' कि आँखो मेँ, मैँने 'होली'
को मरते देखा...
थी चाह उसे भी नये कपडे पहनने कि,
पर उन्हीँ कपडोँ को साफ करते देखा...
थे नहीँ माँ-बाप उसके,
दूसरोँ बच्चोँ को माँ-बाप के साथ देखकर उसकी आँखे भरते
देखा...
हम करते हैँ सदा अपने गमोँ कि नुमाइस,
उसे चुपचाप गमोँ को पीते देखा...
जब मैँने कहा 'बच्चे क्या चाहिये तुम्हे?'
तो उसे चुपचाप मुस्कुरा कर 'ना' मेँ सिर हिलाते देखा...
था वह उम्र मेँ बहुत छोटा अभी
पर उसके अंदर मैँने 'जमीर' को पलते देखा...
सारे शहर के रँगे-पुते चेहरे मेँ,
मैने उसके हसते हुए, मगर बेबस चेहरे को देखा...
नामकूल रही होली मेरी,
जब मैँने जिँदगी के इस दूसरे अजीब पहलू
को देखा...
'होली' पर किसी गरीब बच्चे
कि जिँदगी मेँ खुशियोँ का रंग घोल के दखो...
इस बार 'होली' कुछ यूँ मनायेँ,
किसी गरीब की 'खुशियाँ' रंगो से
सजायेँ...
# Happy_Holi ----
कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिलजाने क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल





password हो ߑतुम दोबारा मत पूछना मेरी
कोन हो तुम !!