“गोपजनो, इसके किये गये चमत्कारों से चकित होकर इसको पहचानने की भूल न करें आप। यह सशरीर आपके बीच रहेगा, यही सबसे बड़ा चमत्कार है। यह अधिक समय जल के समीप निवास करेगा। सत्य का ज्ञाता यह पुत्र पंचमहाभूतों में से जलतत्त्व का स्वामी–जलपुरुष भी है। अत: इसके भाव-विभाव सदैव तरल, प्रवहमान और सृजनशील रहेंगे। “जिस प्रकार जल कभी एक ही स्थान पर स्थिर नहीं रहता, रुक नहीं जाता, जीवन का सर्जन और विकसन करता हुआ प्रवहमान रहता है, उसी प्रकार यह जलपुरुष जीवन-भर निरन्तर भ्रमण करता रहेगा। यह चक्रवर्ती होगा–युगकर्ता होगा–युगन्धर होगा! “यह केवल चक्रवर्ती जलपुरुष ही नहीं बल्कि योगी भी है–योगयोगेश्वर है।” वे शान्त, स्पष्ट स्वर में बोलते जा रहे थे। उनके भस्मचर्चित भाल पर अब मोटे-मोटे स्वेदबिन्दु उभर आये थे–मानो उनके द्वारा कथित जातक उनके अन्त:चक्षुओं के आगे साकार हुआ हो!”
―
युगंधर [Yugandhar]
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