Kindle Notes & Highlights
“जो नगर जितना बड़ा होता है, वह मनुष्य के लिए उतना ही निष्ठुर, उतना ही क्रूर होता है।”
मुन्नू को एकाएक यह अनुभव हुआ कि जीवन में जब कभी उसने हाथ-पाँव मारे, जब कभी उसने किसी प्रकार की क्रियाशीलता प्रकट की, तब उसे कोई-न-कोई सहारा अवश्य मिल गया।