Abhishek Anand

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तुलसीदासजी ने जब रामचरितमानस की रचना की, तब अपने काव्य की भाषा और उसके छन्द उन्होंने वे ही रखे जिनका प्रयोग जायसी आदि कवियों ने किया था।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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