Abhishek Anand

33%
Flag icon
कालचक्र-यान का विकास भारत से बाहर हुआ था और बाहर से ही यह यान बंगाल और असम में पहले-पहल पाल-युग में पहुँचा। यह यान मन्त्र की सम्यक् सिद्धि के लिए तिथि, मुहूर्त, नक्षत्र और राशि पर जोर देता था। अतएव, कालचक्र-यान ने मन्त्रों का सम्बन्ध ज्योतिष की गणना से भी जोड़ दिया।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
Rate this book
Clear rating