Abhishek Anand

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श्लीगल–बन्धुओं ने जर्मन–भाषा के द्वारा यूरोप में भारतीय ज्ञान का अपरिमित आख्यान किया। वेद, उपनिषद्, भगवद्गीता और मनुस्मृति तथा शकुन्तला और ऋतुसंहार को देखकर जर्मनी के कवि और विद्वान् अभिभूत हो उठे।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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