Abhishek Anand

23%
Flag icon
ईंधन के बिलकुल निःशेष हो जाने पर जैसे यह नहीं जाना जा सकता कि जो आग सामने प्रज्वलित थी, वह कहाँ चली गई, उसी प्रकार कर्म–संस्कारों के समाप्त हो जाने पर यह नहीं जाना जा सकता कि जीव किस अवस्था में कहाँ चला जाता है।’’
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
Rate this book
Clear rating