अब्दुल वहाब ने रोकों की जो धार्मिक सूची तैयार की, उसमें तम्बाकू और कॉफी ही नहीं, बल्कि संगीत, रेशम, सोना, चाँदी और हीरे भी आ गए क्योंकि ये सामग्रियाँ भी विलासिता की थीं। बुजुर्गों की क़ब्रों की कौन कहे, हज़रत मुहम्मद की क़ब्र पर जाकर पूजा करने को भी उन्होंने शिर्क करार दिया।