Abhishek Anand

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‘तत्त्वमसि’, वेदान्त के इस वाक्य की व्याख्या शंकर ने यह की थी कि जीव भी ब्रह्म ही है। रामानुज ने यह अर्थ चलाया कि ‘तत्’ (अर्थात् सृष्टि का कारण स्वरूप ईश्वर) ‘त्वम्’ (अर्थात् जीव में छिपी हुई आत्मा) से एकाकार है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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