सन् 1593 ई. में, उसने धार्मिक स्वतन्त्रता के लिए कई आज्ञाएँ निकालीं, जिनमें से प्रमुख ये थीं कि (1) कोई जबर्दस्ती मुसलमान बनाया गया हिन्दू अगर फिर हिन्दू बनना चाहे तो उसे कोई न रोके। (2) किसी भी आदमी को जबर्दस्ती एक धर्म से दूसरे धर्म में न लाया जाए। (3) प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म–मन्दिर बनाने की पूरी स्वतन्त्रता रहे और (4) जबर्दस्ती किसी विधवा को सती न बनाया जाए।