Abhishek Anand

82%
Flag icon
तिलकजी ने पहले–पहल उसके सामने धर्म का व्यावहारिक पक्ष उपस्थित किया और उसे यह बात समझाई कि धर्म वही नहीं है जो स्मृतियों में लिखा हुआ है, प्रत्युत, योग्य उपायों के द्वारा आत्म–रक्षा का प्रयास एवं अन्याय का विरोध भी धर्म का ही अंग है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
Rate this book
Clear rating