Abhishek Anand

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सृष्टि का जो आदि तत्त्व है, वह प्रेम है और वही सहज भी है। सहज ने ही, मात्र लीला के लिए, अपने आपको दो रूपों में विभक्त कर दिया है, जिनमें से एक रूप ‘रस’ और दूसरा ‘रति’ है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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