Abhishek Anand

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रामकृष्ण न तो अंग्रेजी जानते थे, न वे संस्कृत के ही जानकार थे, न वे सभाओं में भाषण देते थे, न अखबारों में वक्तव्य। उनकी सारी पूँजी उनकी सरलता और उनका सारा धन महाकाली का नाम–स्मरणमात्र था।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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