Abhishek Anand

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1866 ई. में अपना समाज अलग कर लिया, जिसका नाम ब्राह्म–समाज ही बना रहा। देवेन्द्रनाथ ठाकुर के अधिकार में जो समाज रह गया, उसे वे आदि–ब्राह्म–समाज कहने लगे।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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