Abhishek Anand

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राधाकृष्णन ने अपनी ‘खंडित आत्मकथा’ में स्वयं लिखा है कि ईसाई धर्म–प्रचारक संस्थाओं के शिक्षकों ने मुझे श्रद्धाहीन बनाकर जिज्ञासा की उस प्राथमिक अवस्था में डाल दिया जहाँ से सभी दर्शनों का जन्म होता
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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