Abhishek Anand

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रामानुजाचार्य ने प्रस्थानत्रयी की टीका से यह तो सिद्ध किया कि शंकराचार्य का माया–मिथ्यावाद और अद्वैत-सिद्धान्त, दोनों झूठे हैं, किन्तु गीता में प्रवृत्ति की प्रेरणा अथवा कर्म के लिए स्थान है, इसे वे भी नहीं स्वीकार कर सके।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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