Abhishek Anand

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गुरु नानक का ईश्वर निराकार पुरुष है। ‘‘वह स्थान–विशेष में रहकर सिंहासनासीन होनेवाला नहीं है, बल्कि, सर्वात्म–भाव से अणु–अणु के भीतर ओत–प्रोत है और उसके सार्वभौमिक नियमों का पालन विश्व के प्रत्येक पदार्थ द्वारा, स्वभावत: होता जा रहा है।’’
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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