Abhishek Anand

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यह ध्यान देने की बात है कि वैदिक युग में इसी अद्वैतवाद का जोर था। द्वैतवाद का उत्थान तब हुआ जब भक्ति की लहर उठी और लोग यह मानने लगे कि भगवान् हमारी प्रार्थना सुनकर हमारे पापों को क्षमा कर देते हैं तथा हमें मुक्ति भी देते हैं।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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