Abhishek Anand

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खानखानाँ रहीम को उर्दू का कवि मानना सरासर मनमानी है। रहीम के समय के मुस्लिम कवि या तो फारसी लिखते थे या हिन्दी में। उस समय उर्दू का अस्तित्व ही नहीं था।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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