Abhishek Anand

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सर सैयद ने केवल अंग्रेजी शासन को ही स्वीकार नहीं किया, प्रत्युत, वे चाहते थे कि मुसलमान खुले दिल से अंग्रेजियत को भी कबूल कर लें। नई रोशनी के प्रति अपने इस रुजहान के कारण उन्हें प्राचीनता के पिष्ट-पेषकों की निन्दा भी सहनी पड़ी।12 उनके दल को लोग ‘नेचरी’ (अंग्रेजी के नेचर शब्द से) तथा उन्हें अंग्रेजों का भक्त कहा करते थे।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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