Abhishek Anand

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किन्तु, एक बात हुई जिससे ईसाई धर्म का मार्ग, पूर्णत:, नहीं खुला। और वह बात यह थी कि भारत के नव-शिक्षित युवक हिन्दू धर्म की निन्दा और ईसाइयत की प्रशंसा चाहे जितनी भी करते हों, किन्तु, स्वयं उनके भीतर धार्मिकता का कोई चिह्न नहीं था। ये हैट–बूट से सुसज्जित घोर रूप के संसारी मनुष्य थे, जिनके आमिष–भोजन और मदिरापन की कहानियाँ सर्वत्र प्रचलित थीं। भारत में धर्म के साथ एक प्रकार की फकीरी, एक प्रकार का आत्म–त्याग और अपरिग्रह का भाव सदा से वर्तमान रहा है। अतएव, इन बकवासी युवकों का भारतीय जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उलटे, वह उनसे घृणा करने लगी।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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