Abhishek Anand

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मौलाना स्वयं दर्शन–पक्ष थे। उनका क्रिया–पक्ष बननेवाला मुसलमान उन्हें नहीं मिला। यही कारण है कि जब राष्ट्रीयतावादी बड़े–बड़े मुस्लिम नेता उठ गए और जिन्ना साहब ने गेंद लेकर मैदान में प्रवेश किया, तब बहुत–कुछ वह मैदान जिन्ना को खाली मिल गया।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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