Abhishek Anand

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नरेन्द्रनाथ के समक्ष प्रार्थना की मुद्रा में रामकृष्ण ने कहा था, ‘‘प्रभो! मुझे मालूम है कि तू पुरातन नारायण ॠषि है और जीवों की दुर्गति का निवारण करने के लिए पुन: शरीर धारण करके आया है।’’
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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