Abhishek Anand

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बदलती हुई परिस्थितियों के साथ अपने को बदलकर युगानुरूप बनाने के लिए इस्लाम ने जो भी प्रयास किए थे, उन्हें वहाब ने एकबारगी काट दिया और समाज को उन्होंने लौटाकर उस स्थान पर ले जाना चाहा, जो इस्लाम की आरम्भिक पवित्रता का स्थान था।’’
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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