Abhishek Anand

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हिन्दी–गद्य का, निश्चित रूप से, सुस्पष्ट प्रमाण हमें रामप्रसाद निरंजनी के ‘ भाषा–योग–वाशिष्ठ‘ नामक ग्रन्थ में मिलता है, जिसे आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी–गद्य का आदि–ग्रन्थ कहा है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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