मुसलमान सारे विश्व में फैले हुए थे, इसलिए उन्होंने एक ऐसी राष्ट्रीयता की कल्पना कर ली, जिसका आधार देश नहीं, धर्म था। और इससे भी आगे बढ़कर उन्होंने इस्लाम को सर्वश्रेष्ठ धर्म, मुसलमान को सर्वश्रेष्ठ मानव और इस्लामी बन्धुत्व को राष्ट्रीयता का श्रेष्ठतम रूप मान लिया।