अच्छे चित्रकारों को दो वस्तुओं का चित्रण करना पड़ता है। एक वस्तु है मनुष्य की देह और दूसरी उसकी आत्मा की आकांक्षा। देह का चित्रण, फिर भी, अपेक्षाकृत सरल कार्य है, किन्तु आत्मा की आकांक्षा का चित्रण कठिन होता है, क्योंकि इस निराकार विषय को भी चित्रकार को अंगों के घुमाव एवं अवयवों की प्रवृत्ति के द्वारा ही चित्रित करना पड़ता है।’’