ब्राह्मणों को यह नहीं सूझा कि राजाओं को इस खतरे से आगाह करें अथवा प्रजा को इस विपत्ति से भिड़ने के लिए तैयार करें। उलटे, उन्होंने विष्णु-पुराण में कल्कि-अवतार की कथा घुसेड़ दी और जनता को यह विश्वास दिलाया कि “ सिन्धु-तट, दाविकोर्वी, चन्द्रभागा तथा कश्मीर प्रान्तों का उपभोग व्रात्य, म्लेच्छ और शूद्र करेंगे।