Abhishek Anand

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वीर शैव–साहित्य की परम्परा कन्नड़ भाषा में ग्यारहवीं सदी तक पहुँचती है। इसके सिवा, इस मत का काफी साहित्य तमिल और तेलुगु भाषाओं में भी उपलब्ध है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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