Abhishek Anand

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ईसा, से दो सौ वर्ष पूर्व भक्ति के अंकुर इस देश में उगने लगे थे और छठी सदी के आलवार सन्तों की वाणी एवं गुप्त–कालीन साहित्य में तो भक्ति रूप धरकर खड़ी हो चुकी थी।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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