Abhishek Anand

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जाति-भ्रष्ट को जाति में लाने का कोई प्रबन्ध नहीं था। यह प्रबन्ध पहले-पहल ‘देवल-स्मृति’ में किया गया, जिसमें केवल 96 श्लोक हैं और जो, शायद, दसवीं शती में लिखी गई थी।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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