Abhishek Anand

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खुलासा, अन्त में, गीता में ही आकर हुआ कि कर्म–न्यास का अर्थ कर्म का त्याग (अथवा संन्यास) नहीं, बल्कि, कर्म के फलों में होनेवाली आसक्ति का त्याग है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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