राममोहन की विशेषता यह थी कि एक ओर तो वे वेदान्त के स्थान से हिलने को तैयार नहीं थे; दूसरी ओर, वे अपने देशवासियों को अंग्रेजी के द्वारा पाश्चात्य विद्याओं में निष्णात बनाना चाहते थे। भारतवासी संस्कृत, अरबी और फारसी पढ़कर बस मान लें अथवा वे अंग्रेजी पढ़कर क्रिस्तान हो जाएँ, इन दोनों खतरों से वे भारतवर्ष को बचाना चाहते