Abhishek Anand

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मैंने कई बार सुना है कि जब (युद्ध में कैद हुए) हिन्दू दास भागकर अपने देश और धर्म में वापस जाते हैं, तब हिन्दू उन्हें प्रायश्चित-रूप में उपवास करने का आदेश देते हैं। फिर वे उन्हें गौओं के गोबर, मूत्र और दूध में नियत दिनों तक दबाए रखते हैं... फिर वे उन्हें वही मल खिलाते हैं। मैंने ब्राह्मणों से पूछा कि क्या यह सत्य है परन्तु, वे इससे इनकार करते हैं और कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के लिए कोई भी प्रायश्चित सम्भव नहीं है।’’ (जयचन्द्र)।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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