आज की दुनिया में हम सबके सब नास्तिक हैं। हमारा ईश्वरीय सत्ता में विश्वास, हमारी पूजा और प्रार्थना, ये सब कृत्रिम आचार हैं। जब हम पूजा करते होते हैं, तब भी हमारा ध्यान पूजा में नहीं होकर कहीं और होता है। हमारा प्रत्येक कर्म इस बात की गवाही देता है कि हम ईश्वर में विश्वास नहीं करते। हम परमात्मा के सामने नहीं झुककर संसार के सामने झुकते हैं। दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है, जो ईश्वर की अपेक्षा हमें अधिक पसन्द न हो।