Abhishek Anand

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मनुष्य के सामने दो से अधिक विकल्प नहीं हैं। या तो वह इन्द्रियों की दासता स्वीकार कर ले और जिधर–जिधर इन्द्रियाँ जाने को कहें, उधर–उधर भागता फिरे। अथवा इन्द्रियों को वश में लाकर वह धर्म के पालन में तत्पर हो।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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