Abhishek Anand

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जिस समाज में कवि उत्पन्न नहीं होते, वह अन्धों का समाज होता है, वह बहरे लोगों का समाज होता है, जो अपनी धमनी की आवाज नहीं सुन पाता। प्रत्येक समाज अपने कवि के आगमन की राह देखता है, क्योंकि कवि ही वह यन्त्र है, जिससे समय के ताप की ऊँचाई अथवा निचाई मापी जाती है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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