तुर्क, असल में, हूणों की एक शाखा थे, जिसका असल नाम था असेना। असेना लोग पाँचवीं शती में कान्सू प्रान्त में एक पहाड़ के पास रहते थे। उस पहाड़ की शक्ल एक खौद या मिगफार (फौजी टोपी) की-सी थी, जिसे हूण-भाषा में ‘तुर्क’ कहते हैं। इसी से वे लोग तुर्क कहलाने लगे।