Abhishek Anand

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अरविन्द दोनों की सार्थकता मानते हुए भी मनुष्य को दोनों से आगे जाने का उपदेश देते हैं। सच्चिदानन्द सर्वत्र विद्यमान है। भेद केवल यह है कि निचले स्तर पर (जड़ तत्त्व में) वह सोया हुआ है, अचेतन अथवा अवचेतन का आवरण लिये हुए है। किन्तु उसकी अवज्ञा भी सच्चिदानन्द की ही अवज्ञा है।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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