Abhishek Anand

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तुलनात्मक दर्शन का जन्म श्री राधाकृष्णन के ग्रन्थों में हुआ और उन्हीं के ग्रन्थों से प्रत्येक देश के विचारकों में यह भाव जाग्रत हुआ कि विश्व–दर्शन की रचना असम्भव नहीं, सम्भव कार्य है।2
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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