Abhishek Anand

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‘उनके ऊपर जलती हुई रेत डाली गई, उन्हें जलती हुई लाल कड़ाही में बिठाया गया और उन्हें उबलते हुए गरम जल से नहलाया गया। गुरु ने सब–कुछ सहन कर लिया और उनके मुँह से आह तक नहीं निकली।’8 फिर रावी–स्नान के बहाने वे कैद से बाहर आए और रावी के तट पर जाकर उन्होंने जीवन–लीला समाप्त कर दी। सिक्खों के प्रसंग में सुविख्यात जहाँगीरी न्याय का यही उदाहरण संसार के सामने आया।
Sanskriti Ke Chaar Adhyay (Hindi)
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