जब अकबर ने ईरान से चित्रकार बुलवाए, तब आरम्भ में तो उनके चित्र भारतीय रहे, किन्तु, धीरे–धीरे ईरान की पुस्तकालेखन और लघुचित्रकारीवाली परम्परा का मेल यहाँ की भित्ति–चित्रवाली परम्परा से हो गया और इसी सामंजस्य से, मुगल–कलम का जन्म हुआ। यह मुगल–कलम जब राजपूत–कलम से मिलकर और अधिक भारतीय हो गई, तब पहाड़ी–कलम का विकास हुआ।