पाँच स्पष्ट कर्म करने को कहा। (1) कलमा पढ़ना यानी इस बात को दिल में बिठाने के लिए जाप करना कि ईश्वर एक है और मुहम्मद उसके रसूल (दूत) हैं (ला इलाह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलल्लाह)। (2) नमाज पढ़ना यानी प्रार्थना करना। (3) रोजा रखना यानी रमजान के महीने में उपवास रखना। (4) जकात यानी अपनी आय का ढाई प्रतिशत दान में दे देना और (5) हज यानी तीर्थ-यात्रा करना।