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Kindle Notes & Highlights
by
Osho
Read between
November 28, 2022 - January 19, 2023
प्रत्येक कृत्य निर्णायक है।
तुम्हारा प्रत्येक कृत्य तुम्हें निर्मित करता है।
कुछ अहंकार में खो देते हैं, कुछ आलस्य में।
काम है दूसरे में सुख की भ्रांत आशा;
इससे बड़ी मूढ़ता और क्या हो सकती है इस संसार में कि जिन-जिन अनुभवों से तुम हजारों बार गुजर चुके हो और एक भी बार सुख नहीं पाया, उन्हीं-उन्हीं की फिर आकांक्षा करने लगते हो! कब जागोगे?
जीवन किसी गणित को मानता नहीं;
भागो मत--जागो!
न तो करो, न दबाओ--सिर्फ देखो। यही साक्षी का सूत्र है--सिर्फ द्रष्टा बनो, कर्ता मत बनो।
न पीछे का हिसाब रखना; क्योंकि उस हिसाब में तुम्हारी बुद्धि भर गई, तो जो अभी मिल रहा था, उससे चूक जाओगे। न आगे की चिंता करना; क्योंकि जिसने आज दिया है, वह कल भी देगा; जिसने आज दिया है, वह कल क्यों न देगा? कल की भी फिक्र मत करना। बीते कल को भी जाने दो; आने वाले कल को भी मत सोचो; आज काफी है। और अगर तुम्हारे मन में यह भाव गहन हो जाए: आज काफी है, यह क्षण पर्याप्त है; तो यही क्षण भजन का हो गया।

