Kavish

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जितनी पवित्रता से काम की स्वीकृति होगी, उतना ही काम पवित्र होता चला जाता है; और जितनी अपवित्रता और पाप की दृष्टि से काम से विरोध होगा, काम उतना ही पापपूर्ण और कुरूप होता चला जाता है।
संभोग से समाधि की ओर - Sambhog Se Samadhi Ki Or (Hindi Edition)
by Osho
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